seraat-e- mustaqeem صراط مستقیم (religious poetries- salaam ,qat'at etc.)
इल्म हासिल करना हर मर्द और औरत पर फ़र्ज़ है
फ़ॉलोअर
बुधवार, 24 नवंबर 2010
बस न जाने क्यों ज़ह्न में एक ख़याल आया और शेर में ढल गया
एक शेर
_______________
"मैं आसी हूं मगर दुनिया की तूने ने’मतें बख़्शीं
कहां से लाऊं शुक्राने के मैं अल्फ़ाज़ ऐ मौला"
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)