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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

नात

माह ए रबीउल अव्वल के मुबारक मौक़े पर एक नात पेश ए ख़िदमत  है

नात
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तस्लीम भी करेगी क़यादत रसूल (स.अ.) की
दुनिया समझ चुकी है ज़रूरत रसूल (स.अ.) की
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किरदार ऐसा था कि ज़माने के रू ब रू
शफ़्फ़ाफ़ आईने सी थी अज़मत  रसूल (स.अ.) की
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आलिम वही है शख़्स कि जो बा अमल रहे
तालीम दे गई हमें फ़ितरत रसूल (स.अ.) की 
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मेराज  जब हुई तो  ज़माना समझ गया
किस दर्जा है बलंद इबादत रसूल(स.अ.) की 
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अल्लाह के नबी का वो एख़लाक़ था ’शेफ़ा’ 
है आज भी दिलों पे हुकूमत रसूल (स.अ.) की

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