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सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

naat e paak

जनाब शाहिद मिर्ज़ा 'शाहिद' साहब की कही हुई नात ए पाक मुलाहिज़ा फ़रमाएँ और इस मुक़द्दस नाम के सदके में दुआओं  से नवाज़ें ,शुक्रिया .
"नात ए पाक "
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मोमिन की कसौटी है, किरदार मुहम्मद का
देखा है   मसीहा भी ,बीमार मुहम्मद का 

  उम्मत के लिए रब से बख्शिश की दुआ माँगी 
देखो तो जहाँ वालो ,ये प्यार मुहम्मद का 

कहते हो क़यामत तुम, मैं ईद समझता हूँ 
महशर में जो होना है दीदार मुहम्मद का 

सर अपने झुकाए हैं ,शाहों ने भी अज़मत को 
ऐसा है मदीने में दरबार मुहम्मद का 

गौहर से   बरसते हैं ,उस शख्स की आँखों से 
जो देख के आया हो घर बार मुहम्मद का

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9 टिप्‍पणियां:

  1. शाहिद साहब ,
    मोमिन की कसौटी है, किरदार मुहम्मद का
    देखा है मसीहा भी ,बीमार मुहम्मद का,

    इस मुक़द्दस नाम को पढ़ कर जो पाकीजगी का एहसास होता है वो बयान नहीं किया जा सकता ,
    बहुत खूब ,खुदा आप की इस दौलत में और इज़ाफा करे,aameen

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  2. मोहतरमा इस्मत साहिबा, आदाब
    नात पाक को जगह देने और दुआओं से नवाज़ने के लिये शुक्रिया.

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  3. मोमिन की कसौटी है, किरदार मुहम्मद का
    देखा है मसीहा भी ,बीमार मुहम्मद का
    Shuruse ant tak ekhee lafz.."Waah!"

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  4. सर अपने झुकाए हैं ,शाहों ने भी अज़मत को
    ऐसा है मदीने में दरबार मुहम्मद का
    बस आंख बन्द करते हैं और हम भी पहुंच जाते हैं दरबार-ए-मुहम्मद में.पढते-पढते सचमुच ही आंखें बन्द कर महसूसने लगती हूं...बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  5. बहुर सुन्दर रचना हर मिसरा उम्दा

    आभार..................

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  6. सर अपने झुकाए हैं ,शाहों ने भी अज़मत को
    ऐसा है मदीने में दरबार मुहम्मद का ...

    एक कीमती रचना है.

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  7. मोमिन की कसौटी है, किरदार मुहम्मद का
    देखा है मसीहा भी ,बीमार मुहम्मद का
    उम्मत के लिए रब से बख्शिश की दुआ माँगी
    देखो तो जहाँ वालो ,ये प्यार मुहम्मद का

    जवाब नहीं इस्मत बजी आप के पास . इल्म भी है, और ज़बान पे पकड़ भी. नरजिस अबिदी

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  8. नर्जिस साहेबा ,
    बहुत बहुत शुक्रिया आप का ब्लॉग पर आने के लिए ,लेकिन ये कलाम "जनाब शाहिद मिर्ज़ा शाहिद" साहब का है ,इसलिये तारीफ़ के हक़दार भी वहीं हैं

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