*दो शेर*
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मालिक तेरे अता ओ करम की नहीं है हद
ये दामन ए मुराद तो छोटा ही पड़ गया
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बख़्शे अब्बास ने अल्फ़ाज़ ओ ख़यालात मुझे
और मजालिस ने अता कर दिये जज़्बात मुझे
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Rashk hota hai aapse,jab aapka likha padhati hun...kaash! Aisa maibhi likh patee!
जवाब देंहटाएंKya gazab dhaya hai!
जवाब देंहटाएंमालिक तेरे अता-ओ-करम की नहीं है हद,
जवाब देंहटाएंये दामन-ए-मुराद तो छोटा ही पड़ गया!
इस शे’र पर बलिहारी जाऊँ! आस्था का इतना उम्दा उदाहरण भला और कहाँ मिल सकता है! ?
सुबहान अल्लाह...
जवाब देंहटाएंदोनों शेर बहुत खूबसूरत हैं
मालिक तेरे अता ओ करम की नहीं है हद
ये दामन ए मुराद तो छोटा ही पड़ गया
इस शेर को पढ़कर...
सईद खां सईद का एक शेर याद आ गया-
मेरे गुनाह की हद है, तेरे करम की नहीं
तू बख्श देता है छोटे से इक बहाने पर.
शानदार!!!शानदार!!!
जवाब देंहटाएंदोनों ही शेर शानदार हैं.
जवाब देंहटाएंआप से एक अर्ज है की अपनी नज्मो में मुश्किल अल्फाजो के अर्थ भी नीचे लिख दिया करे. हम जैसे कम अकलों को समझने में आसानी होगी.
आपके दोनों शेर बेहतरीन हैं.
जवाब देंहटाएंआपके अशआर पढ़ने पर लगता है जैसे मैं किसी अरूज़ी शाइरा को पढ़ रहा हूँ.
मैं आपकी क़लम,कलाम और सादगी का कायल हूँ.आपके कलाम बताते हैं की आपके अन्दर केवल अच्छी शाइरा ही नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान भी बसता है.
मुझे आपके कलाम से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
कुँवर कुसुमेश
बहुत सुंदर शेर हे दोनो जी, आप से एक गुजारिस हे कि जब भी आप उर्दु के कठिन शव्द लिये तो उन का अर्थ भी शेर के नीचे दे दे, समझने मै मुश्किल नही होगी, मुझे तो उर्दु आती हे लेकिन इतने गहरे भी नही, शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंमालिक तेरे अता ओ करम की नहीं है हद
जवाब देंहटाएंये दामन ए मुराद तो छोटा ही पड़ गया
लाजवाब शेर है, मगर आदमी फिर भी सब्र नही करता। आपका कमेन्ट मेरे लिये बहुत बडा काम कर गया। इस संवेदनशीलता के लिये धन्यवाद।
bahut khub aapke jajbaat ko salam...
जवाब देंहटाएंगज़ब है इस्मत जी
जवाब देंहटाएंविरहणी का प्रेम गीत
आदाब ,
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद हाज़िर हुयी हूँ ,माज़रत चाहती हूँ , आपके पिछले तमाम कमेंट्स के लिए शुक्रिया अदा करती हूँ लेकिन यक़ीन जानिए आपके ये 'दो शेर' ....ब्लॉग के तमाम कलाम पर भारी हैं.
बख़्शे अब्बास ने अल्फ़ाज़ ओ ख़यालात मुझे
जवाब देंहटाएंऔर मजालिस ने अता कर दिये जज़्बात मुझे
waah waah
Malik hamesha aap par meherban rahein.Gujarish hai mere blog par bhi ek nazar dale, ho sakta haai aapse kuchh sikhne ko mil jaye.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..लाजवाब ..
जवाब देंहटाएंसुंदर शेर !
जवाब देंहटाएंदिल को छू गये भाव।
जवाब देंहटाएं---------
जानिए गायब होने का सूत्र।
….ये है तस्लीम की 100वीं पहेली।
सुभानाल्लाह .....!!
जवाब देंहटाएंNice post .
जवाब देंहटाएंईद मुबारक ! मालिक सबका भला करे ,
मालिक आपको दिव्य मार्ग पर चलाए और आपको रियल मंजिल तक पहुँचाए
मालिक सबका शुभ करे ।
विशेष : मेरा मक़सद केवल संवाद है और संवाद का मक़सद सत्पथ की निशानदेही करना है ।
किसी के पास सत्य का कोई अन्य सूत्र है तो मैं प्रेमपूर्वक उसका स्वागत करता हूं , अपने कल्याण के लिए , सबके कल्याण के लिए ।
कल्याण सत्य में निहित है ।
ahsaskiparten.blogspot.com पर देखें
"मैं आसी हूं मगर दुनिया की तूने ने’मतें बख़्शीं
जवाब देंहटाएंकहां से लाऊं शुक्राने के मैं अल्फ़ाज़ ऐ मौला"
Behtareen sher hai! Waise to sabhi ashar ekse badhke ek hain!
बख़्शे अब्बास ने अल्फ़ाज़ ओ ख़यालात मुझे
जवाब देंहटाएंऔर मजालिस ने अता कर दिये जज़्बात मुझे
बहुत सुन्दर बहुत बे मिसाल