"दो शेर और एक .कता" पेशे ख़िदमत है
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दो शेर
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दरे इलाह पे जाना सुकूँ का बाइस है
दिल - ए - शिकस्ता की वाहिद पनाहगाह है ये
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जो आ रहे हैं अक़ीदत से उन को आने दो
मेरे रसूल (स. अ.) की नज़रों में सब बराबर हैं
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.कता
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जो मुझ को क़ूवत ए गोयाई तूने की है अता
तो जुर्रतें भी अता कर कि सच को सच कह पाऊँ
मैं इस गुनाह की गठरी से चंद कम कर लूं
जो राह ए मालिक ए कौनैन पे क़दम रख पाऊँ
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बहुत खूब...........क्या कहने हैं..:)
जवाब देंहटाएंबहुत खुब, जी लेकिन बहुत मुस्किल हे आप की उर्दू
जवाब देंहटाएंजो मुझ को क़ूवत ए गोयाई तूने की है अता
जवाब देंहटाएंतो जुर्रतें भी अता कर कि सच को सच कह पाऊँ
सच्चे दिल से मांगी गई ईमानदार दुआ है ये. बहुत सुन्दर.
सुन्दर, बेहतरीन
जवाब देंहटाएंVivek Jain (vivj2000.blogspot.com)
मेरे ब्लोक पर आपका स्वागत है -- आप की उर्दू बहुत मुस्किल हे...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा शब्द है ! हवे अ गुड डे ! मेरे ब्लॉग पर जरुर आना !
जवाब देंहटाएंMusic Bol
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Shayari Dil Se
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जो मुझ को क़ूवत ए गोयाई तूने की है अता
जवाब देंहटाएंतो जुर्रतें भी अता कर कि सच को सच कह पाऊँ
मैं इस गुनाह की गठरी से चंद कम कर लूं
जो राह ए मालिक ए कौनैन पे क़दम रख पाऊँ
bahut khubsurat
इस्मत जी लगता है अब आपको गुरू बनाना ही पडेगा। मुझे भी उर्दू सिखा दीजिये न। कता क्या होती है? बतायें। आपके शेर गज़ल के लिये कुछ कहना सूरज को दीप दिखाने के बराबर है। बहुत बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंजो आ रहे हैं अक़ीदत से उन को आने दो
जवाब देंहटाएंमेरे रसूल (स. अ.) की नज़रों में सब बराबर हैं
bahut badhiya...
जो मुझ को क़ूवत ए गोयाई तूने की है अता
जवाब देंहटाएंतो जुर्रतें भी अता कर कि सच को सच कह पाऊँ
मैं इस गुनाह की गठरी से चंद कम कर लूं
जो राह ए मालिक ए कौनैन पे क़दम रख पाऊँ
bahut khoobsurat hai ye ahsaas
बहुत ही उम्दा *****
जवाब देंहटाएंजो आ रहे हैं अक़ीदत से उन को आने दो
जवाब देंहटाएंमेरे रसूल (स. अ.) की नज़रों में सब बराबर हैं
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