फ़ॉलोअर

सोमवार, 21 दिसंबर 2009

                                                                            सलाम
____________
तू इल्म के दरिया में शनावर की तरह है
और हुब्बे अली ही तेरे यावर की तरह है

वो जिस की बदौलत हैं ज़मीं आसमां रौशन
अब्बास तो इस्लाम के खावर की तरह है

बातिल की जो राहों पे चला मैं ने ये पाया
इक जिस्म नहीं रूह भी लागर की तरह है

शब्बीर पे सब बेटों की क़ुर्बानियाँ दे दीं
माँ क्या कोई अब्बास की मादर  की तरह है

इस दश्त में शाह लाये थे चुन चुन के वतन से
हर कोई यहाँ लाल ओ जवाहर की तरह है

किस तर्ह गुनाहों की तलाफ़ी हो 'शेफ़ा' अब
हर एक गुनह शजर ए तनावर की तरह है  


शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

क़सीदा
__________________

ख़ल्क़ में मीज़ाने नुज़हत हैं अली ओ फ़ातेमा 
बेशक़ीमत दीं की दौलत हैं अली ओ फ़ातेमा 

जिन की अज़मत के थे क़ायल ख़ुद रसूलल्लाह भी 
मुस्तफ़ा की वो बेज़ा,अत हैं अली ओ फ़ातेमा 

दे सके दुनिया को जो दरसे अखूवत ,दरसे दीं 
"इन्तेखाबे चश्मे क़ुदरत हैं अली ओ फ़ातेमा "*

आ के साएल दर पे ख़ाली हाथ ना लौटा कभी 
दूरिये आज़ारे ग़ुरबत हैं अली ओ फ़ातेमा 


जौ की सूखी रोटियां और आब थी उन की गेज़ा
मा'आनिये सब्रो क़ेना'अत हैं अली ओ फ़ातेमा 


ज़ुल्म सारे सह लिए ईमान पर क़ायम रहे 
बानिये किरदार ओ इस्मत हैं अली ओ फ़ातेमा 


बेकसो,लाचारो ,बेबस ,बेनवा के वास्ते
मुश्किलों में अब्रे रहमत हैं अली ओ फ़ातेमा 


उन का दर सब के लिए है हो वो सुल्तां या फ़क़ीर
वक्ते हाजत दस्ते शफ़क़त हैं अली ओ फ़ातेमा 

पेश की ऐसे मसावात ओ अखूवत की मिसाल 
इस जहाँ में वजहे उल्फ़त है अली ओ फ़ातेमा 


ज़िन्दगी में जब कोई मुश्किल पड़ी मुझ पर 'शेफ़ा'
मेरे सहमे दिल की ताक़त हैं अली ओ फ़ातेमा

________________________________________________
*  ये  मिसरा है  मेरा नहीं है बल्कि  ये तरह दी गयी 
थी .