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रविवार, 3 जनवरी 2010

सलाम
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यूँ सभी पैग़म्बरों की ज़ाते आला और है
हैं रसूले पाक अफ़ज़ल उनका रुतबा और है

अकरुबा भूखे रहे साएल को रोटी दे दिया
ये है किरदारे अली बाक़ी की दुनिया और है

जब हुए अब्बास के बाज़ू क़लम इक शोर था 
बावफ़ा दुनिया में  ऐसा कोई देखा और है

यूँ तो इस दुनिया में तक़रीरें बहुत सब ने सुनीं
शाम के दरबार में ज़ैनब का ख़ुतबा और है

बाद मरने के तेरे बेटा ये माँ क्योंकर जिए
अब हुआ मालूम के मर मर के जीना और है

है क़लम हथियार मेरा उनका है तेग़ ओ तबर 
"मेरी दुनिया और है दुनिया की दुनिया और है "

"  " ये तरह दी गयी थी  

4 टिप्‍पणियां:

  1. मोहतरमा इस्मत साहिबा आदाब,
    आपकी दीनी तालीम, और इससे मुताल्लिक ये कलाम
    सच कहें, आपके पास ऐसी दौलत है,
    जिस पर हर कोई फ़ख्र कर सकता है
    अल्लाह आपको इस दौलत से हमेशा मालामाल रखे
    जिससे हम जैसे गुनाहगार भी फ़ैज़याब होते रहें
    यहां इस ब्लाग पर
    बहुत ज्यादा कहने की ज़रूरत भी नहीं है
    बस इक दुआ है-
    हम्द कहने का हुनर 'शाहिद' को भी कर दे अता
    ऐ खुदा मेरे भी दामन में ये सिक्के डाल दे
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  2. सच है इस ब्लॉग पर बहुत कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है. जिस सच्चे दिल से तुम लिखती हो, वही आवाज़ हमें सुनाई भी देती है.
    बाद मरने के तेरे बेटा ये माँ क्योंकर जिए
    अब हुआ मालूम के मर मर के जीना और है

    जवाब देंहटाएं
  3. shahid sahab shukriya ,hunar se to ap pahle hi malamal hain ,phir bhi dua hai ki allah apki har dua qubool kare

    vandana ,agar ye sher aik maan ke dil par asar karta hai to sher kamyab hai

    जवाब देंहटाएं
  4. यूँ सभी पैग़म्बरों की ज़ाते आला और है

    हैं रसूले पाक अफ़ज़ल उनका रुतबा और है



    अकरुबा भूखे रहे साएल को रोटी दे दिया

    ये है किरदारे अली बाक़ी की दुनिया और है



    जब हुए अब्बास के बाज़ू क़लम इक शोर था

    बावफ़ा दुनिया में ऐसा कोई देखा और है



    यूँ तो इस दुनिया में तक़रीरें बहुत सब ने सुनीं

    शाम के दरबार में ज़ैनब का ख़ुतबा और है



    बाद मरने के तेरे बेटा ये माँ क्योंकर जिए

    अब हुआ मालूम के मर मर के जीना और है



    है क़लम हथियार मेरा उनका है तेग़ ओ तबर

    "मेरी दुनिया और है दुनिया की दुनिया और है "
    poori rachna laazwaab hai ,vandana aur shahid ji bahut sahi kah gaye ,main kai baar padhti rahi bade dhyaan se ,itni chhoo gayi man ko .tumahri tarif kya kare hum .

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