क़सीदा
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ख़ल्क़ में मीज़ाने नुज़हत हैं अली ओ फ़ातेमा
बेशक़ीमत दीं की दौलत हैं अली ओ फ़ातेमा
जिन की अज़मत के थे क़ायल ख़ुद रसूलल्लाह भी
मुस्तफ़ा की वो बेज़ा,अत हैं अली ओ फ़ातेमा
दे सके दुनिया को जो दरसे अखूवत ,दरसे दीं
"इन्तेखाबे चश्मे क़ुदरत हैं अली ओ फ़ातेमा "*
आ के साएल दर पे ख़ाली हाथ ना लौटा कभी
दूरिये आज़ारे ग़ुरबत हैं अली ओ फ़ातेमा
जौ की सूखी रोटियां और आब थी उन की गेज़ा
मा'आनिये सब्रो क़ेना'अत हैं अली ओ फ़ातेमा
ज़ुल्म सारे सह लिए ईमान पर क़ायम रहे
बानिये किरदार ओ इस्मत हैं अली ओ फ़ातेमा
बेकसो,लाचारो ,बेबस ,बेनवा के वास्ते
मुश्किलों में अब्रे रहमत हैं अली ओ फ़ातेमा
उन का दर सब के लिए है हो वो सुल्तां या फ़क़ीर
वक्ते हाजत दस्ते शफ़क़त हैं अली ओ फ़ातेमा
पेश की ऐसे मसावात ओ अखूवत की मिसाल
इस जहाँ में वजहे उल्फ़त है अली ओ फ़ातेमा
ज़िन्दगी में जब कोई मुश्किल पड़ी मुझ पर 'शेफ़ा'
मेरे सहमे दिल की ताक़त हैं अली ओ फ़ातेमा
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* ये मिसरा है मेरा नहीं है बल्कि ये तरह दी गयी
थी .
दूरिये आज़ारे ग़ुरबत हैं अली ओ फ़ातेमा
जौ की सूखी रोटियां और आब थी उन की गेज़ा
मा'आनिये सब्रो क़ेना'अत हैं अली ओ फ़ातेमा
ज़ुल्म सारे सह लिए ईमान पर क़ायम रहे
बानिये किरदार ओ इस्मत हैं अली ओ फ़ातेमा
बेकसो,लाचारो ,बेबस ,बेनवा के वास्ते
मुश्किलों में अब्रे रहमत हैं अली ओ फ़ातेमा
उन का दर सब के लिए है हो वो सुल्तां या फ़क़ीर
वक्ते हाजत दस्ते शफ़क़त हैं अली ओ फ़ातेमा
पेश की ऐसे मसावात ओ अखूवत की मिसाल
इस जहाँ में वजहे उल्फ़त है अली ओ फ़ातेमा
ज़िन्दगी में जब कोई मुश्किल पड़ी मुझ पर 'शेफ़ा'
मेरे सहमे दिल की ताक़त हैं अली ओ फ़ातेमा
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* ये मिसरा है मेरा नहीं है बल्कि ये तरह दी गयी
थी .
अरे इस्मत जी ,अगर आप ऎसी मुश्किल भाषा लिखेंगी तो मेरे जैसे अदब के रसिया पर तो वही कहावत लागू होगी कि -----काला अक्षर भैंस बराबर
जवाब देंहटाएंसुंदर कसीदा, लेकिन भाषा अगर थोडी सरल होती, तो ज्यादा अच्छा रहता।
जवाब देंहटाएं------------------
शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
ज़िन्दगी में जब कोई मुश्किल पड़ी मुझ पर 'शेफ़ा'
जवाब देंहटाएंमेरे सहमे दिल की ताक़त हैं अली ओ फ़ातेमा
बहुत खूब. सच है कमज़ोर क्षणों में परवरदिगार ही ताकत देता है.
aap sab ka is blog par aane ke liye shukriya .
जवाब देंहटाएंalka ji ye qaseeda misrae tarah par likha gaya hai aur jahan padha gaya wahan sab se aasan zaban yehi thi ,aap ne shayad mera doosra blog nahin dekha .
arshia aap ka jawab us blog par hai .
shukriya vandana,main ne is par arth nahin diye agli baar de doongi .
सुबहान अल्लाह,
जवाब देंहटाएंइस्मत साहिबा,
ज़ुल्म सारे सह लिए ईमान पर क़ायम रहे
बानिये किरदार ओ इस्मत हैं अली ओ फ़ातेमा
पेश की ऐसे मसावात ओ अखूवत की मिसाल
इस जहाँ में वजहे उल्फ़त है अली ओ फ़ातेमा
बेशकीमती है ये ब्लाग,
यहां आकर गुनाहों के अंधेरे में जिन्दगी गुजारने वालों के
किरदार भी रोशन हो जायेंगे...
इन्शा अल्लाह
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
bahut bahut shkriya shahid sahab ek sher arz hai--------
जवाब देंहटाएंmain aasi hoon magar duniya ki toone nematen bakhsheen
kahan se laoon shukraane ke main alfaz ai maula
ज़िन्दगी में जब कोई मुश्किल पड़ी मुझ पर 'शेफ़ा'
जवाब देंहटाएंमेरे सहमे दिल की ताक़त हैं अली ओ फ़ातेमा
mere liye to yah satya hai kyonki use maine kai baar anubhav kiya
wah...wah....
जवाब देंहटाएंaap sab ka bahut bahut shukriya
जवाब देंहटाएंWonderful Again .....
जवाब देंहटाएंu really amazed me, Mam !